For Nandini - A poem requested by the poetry of my life.....
दो ऊदी ऊदी सी रूहें,
एक ही खुशबू मे महक रही है,
जिंदगी के सख्त जाड़ों के,
गुनगुने सूरज थाप रही है,
सुबह से शाम के बंध खोले है,
नए उजालों के चराग जला रही है,
वही है कदीम अफसाने वही है,
नए किरदारों के नए मोड़ ढाल रही है,
एक हुई है चौखट दो घरों की,
दो घरों की खुशबू बदल रही है,
दो ऊदी ऊदी सी रूहें,
एक ही खुशबू में महक रही है .....